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10.04.2012 16:20 - ГОНИТБА - РУМЕН ЧЕНКОВ
Автор: ambroziia Категория: Лични дневници   
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                            ГОНИТБА

       ТИ  СЕ  МЕ  ЛЪГАЛ  ПОДЛО,  ЖИВОТЕ!
КЪСНО  РАЗБРАХ,  ЧЕ  ТЕ  НЯМАМ.
ПОДИР  ТЕБЕ  ВЪРВЯХ  И  СЕ  КЪПЕХ  ВЪВ  ПОТ.
НЕ . . .  ВЪРВЯХ  СЛЕД  ИЗМАМА.

       АЗ  ТЕ  ВИЖДАХ,  ЖИВОТ,  И  ПРЕДВКУСВАХ  ТРИУМФ.
ТИ  ДЪХА  МИ  НАВЯРНО  СИ  ЧУВАЛ.
ОТ  УМОРА  И  ЯД,  ОТ  ТЕРЗАНИЯ  КУХ,
КАТО  СТАР  КАРУЦАР  СЪМ  ТЕ  ПСУВАЛ.

       НЕ  ЗАЩОТО  ТЕ  МРАЗЯ,  БЕГЛЕЦО  КРАСИВ,
/СИЛНО  МРАЗЯ,  ЕДИНСТВЕНО  ГРОБА/,
АЛА  С  КАПКА  ЖИВОТ,  КАТО  СКОТА  БЯХ  ЖИВ  - 
ТУЙ  Е  МОЯТА  ЯРОСТНА  ЗЛОБА.

       И  СЕГА,  ОКОВАН  ВЪВ  КОВЧЕГ  ОТ  ПАНЕЛ  - 
ВИЖДАМ  КАК  МИ  СЕ  ХИЛИШ  ЗЛОРАДО.
САДИСТИЧНО  МЕ  МАМИШ.  ПРЕДНИНА  ТИ  СИ  ВЗЕЛ.
КОЛКО  СИЛА  ОТ  МЕН  ЩЕ  ИЗВАДИШ?!

       УМОРИХ  СЕ,  ЖИВОТ,  ДА  ТЕ  ГОНЯ  БЕЗКРАЙ.
ЧУВСТВАМ  ВЕЧЕ  -  ЗА  ОТДИХ  СЪМ  ЖАДЕН,
А  И  В  ТЕБЕ,  ЕДВА  ЛИ  Е  ЦЕЛИЯТ  РАЙ  - 
СТАНА  ГРУБ,  НЕУЮТЕН  И  ГАДЕН.

       СТАНА  ТОЛКОЗ  ПРОТИВЕН,  ЧЕ  ВЕЧЕ  НЕ  ЗНАМ  - 
ДАЛИ,  КАКТО  ПРЕДИ  ТЕ  ЖЕЛАЯ.
ОЩЕ  БЯГАШ  В  ГАЛОП  -  НЕ  ВИДЯ,  ЧЕ  СИ  САМ.
АЗ  ОСТАНАХ  В  ПАНЕЛНАТА  СТАЯ.

Добрич, 1997



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