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Постинг
04.09.2014 11:54 - КАЛ - НИКОЛИНА МИЛЕВА
Автор: ambroziia Категория: Поезия   
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КАЛ

СЕПТЕМВРИ  СНЕ  ПЕНЛИВАТА  СИ  ЖАЛ
И  ЗЛОБНО  Я  ЗАХВЪРЛИ  КЪМ  МОРЕТО.
МЕН  НЯКОЙ  МЕ  Е  СЪТВОРИЛ  ОТ  КАЛ,
И  НЯМАМ  СМЕЛОСТ  ДА  КРЕПЯ  НЕБЕТО.

ВЪВ  ЪГЪЛА  НА  ПРАШНАТА  ЗЕМЯ
СЕ  МЯРКАТ  НЕЗНАЧИТЕЛНИ  ЧОВЕЦИ.
ЕДИН  АТЛАС  ПОНЕСЪЛ  ВЕЧНОСТТА
ЗА  МИГ  ДА  Я  ИЗПУСНЕ  И  ИЗТЕЧЕ.

КЪДЕ  СЪМ  АЗ  ИЗ  ГЛУХИЯ  ПЕЙЗАЖ.
КАЛТА  ЗАСЪХВА.  РАНИТЕ  СА  ЦЕЛИ.
АТЛАС  СИ  ТРЪГВА,  ТРЪГВАМ  СИ  И  АЗ,
НО  САМО  С  НЕГО  МЕНЕ  НЕ  РАЗДЕЛЯМ.

ЧОВЕЦИТЕ  СЕ  ЦУПЯТ  НА  ДЪЖДА.
ИЗПЛАШИ  СЕ  В  ОЧИТЕ  ИМ  ДЪГАТА.
ПОНИКНА  СЪС  ЕДИН  ЖИВОТ  РЪЖТА
И  ОЩЕ  ТОЛКОВА  ПОНЕЧИ  ДА  Е  КРАТКА.

АТЛАС  ГО  НЯМА,  АЗ  СЪМ  ОЩЕ  КАЛ
И  НЯМА  КОЙ  ДА  ПОДСЛОНИ  НЕБЕТО.
А  ЗНАМ,  ЧЕ  НЯКОЙ  ВСЪЩНОСТ  МИ  Е  ДАЛ
СЪРЦЕ,  ТА  В  НЕГО  ДА  СБЕРА  МОРЕТО.

ОЧИ  -  ВИСОКОТО  ДА  ПРИБЕРА.
НОЗЕ  -  С  НОЗЕ  ЗЕМЯТА  ДА  ЦЕЛУНА.
РЪЦЕ,  РЪЦЕТЕ  ДА  СТОПЯТ  ЛЕДА.
СЪРЦЕ,  СЪРЦЕ  СЕПТЕМВРИ  ДА  СБОГУВА.

А  ВСИЧКО  СЛЕД  СЕПТЕМВРИ  ЩЕ  Е  РАЙ.
АТЛАС  ПОНЕСЕ  С  НЕГО  ВЕЧНОСТТА  СИ.
КРЕПИ  И  СТИСКА  ЗЪБИ  ДО  БЕЗКРАЙ.
ЕДВА  ЛИ  ЩЕ  ПОЗНАЕ  ДЪЩЕРЯ  СИ.

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Николина  Милева



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